खीरा, दही, शहद, दूध, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, पंचामृत, बाल कृष्ण की मूर्ति,
खीरा, दही, शहद, दूध, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, पंचामृत, बाल कृष्ण की मूर्ति,
Puja Ki saamagri
Puja Ki saamagri
सांहासन, गंगाजल, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती,
सांहासन, गंगाजल, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती,
गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत, माखन, मिश्री, भोग सामग्री, तुलसी का पत्ता आदि से पूजा करें.
गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत, माखन, मिश्री, भोग सामग्री, तुलसी का पत्ता आदि से पूजा करें.
ऐसा माना जाता है ग्रह नक्षत्रों के चाल के वजह से साधु संत (शैव संप्रदाय) इसे एक दिन मनाते हैं,
ऐसा माना जाता है ग्रह नक्षत्रों के चाल के वजह से साधु संत (शैव संप्रदाय) इसे एक दिन मनाते हैं,
तथा अन्य गृहस्थ (वैष्णव संप्रदाय) दूसरे दिन पूजा अर्चना उपवास करते हैं.
तथा अन्य गृहस्थ (वैष्णव संप्रदाय) दूसरे दिन पूजा अर्चना उपवास करते हैं.
यही वजह है कि प्रत्येक साल जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाती है.
यही वजह है कि प्रत्येक साल जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाती है.
व्रत करने वालों के लिए पारण का समय- 19 अगस्त, रात्रि 10 बजकर 59 मिनट के बाद है.
व्रत करने वालों के लिए पारण का समय- 19 अगस्त, रात्रि 10 बजकर 59 मिनट के बाद है.
मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत खोलते समय दही या फिर जल ग्रहण कर सकते हैं. इसके बाद भोजन ले सकते हैं
मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत खोलते समय दही या फिर जल ग्रहण कर सकते हैं. इसके बाद भोजन ले सकते हैं